आँखों में सपने लिये, बस इतना कर पाऊं, कुछ बन कर, माँ-बाप का नाम रौशन कर जाऊं ! देश की मिट्टी का क़र्ज़ चुकाकर, भारत रत्न बन जाऊं, इतना पुण्य कर्म कर पाऊं, की हर जन्म, यही देश और माँ-बाप पा जाऊं ! दिल में बस यही सपने लिए, बस इतना कर पाऊं, चादर ओढ़ तिरंगे की, हर बार बिदाई चाहूँ ! – Pranjal Kumar
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